Friday, November 22, 2024
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बीमारियां हिमाचल के लोगों को जकड़ रही ; ताजा रिपोर्ट में खुलासा

It is a matter of great surprise that despite the tough lifestyle in the mountains, the people of Himachal Pradesh are suffering from diseases like diabetes, hypertension and obesity. This claim has been made in the latest research of the Indian Council for Medical Research (ICMR). This report of ICMR has recently been published in the medical journal 'The Lancet Diabetes and Endocrinology'.

बड़ी हैरानी की बात यह है कि पहाड़ो पर कठिन जीवन शैली के बावजूद हिमाचल प्रदेश के लोगों को डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापा जैसी बीमारियां जकड़ रही है। यह दावा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ताजा रिसर्च में हुआ है। ICMR की यह रिपोर्ट हाल ही में मेडिकल जरनल चिकित्सा पत्रिका ‘द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी’ में प्रकाशित हुई है।

बड़ी ही चिंता का विषय यह है कि प्रदेश में नेशनल ऐवरेज से ज्यादा लोग डायबिटीज, हायपरटेंशन और मोटापा (hypertension and obesity) का शिकार हो गए हैं। ICMR की इस स्टडी को हिमाचल में करने वाले IGMC शिमला के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. जितेंद्र मोक्टा ने बताया कि प्रदेश में 13.5 प्रतिशत लोग डायबिटीज से ग्रसित है, जबकि राष्ट्रीय औसत 11.4 प्रतिशत की है। उत्तर प्रदेश में सबसे कम 4.8 फीसदी और गोवा में सबसे ज्यादा 26.4 फीसदी लोग डायबिटीज से परेशान है।

इसी तरह हिमाचल में 18.7 प्रतिशत लोग प्री डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इसका राष्ट्रीय औसत 15.3 फीसदी है। मिजोरम में सबसे कम 6.1 फीसदी और सिक्किम में सर्वाधिक 31.3 फीसदी लोग प्री डायबिटीज से ग्रसित है।

35.3 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन का शिकार

रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल के 35.3 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) की बीमारी से परेशान है। इसकी नेशनल एवरेज 35.5 प्रतिशत है। हालांकि नेशनल एवरेज से मात्र 0.2 फीसदी कम है। मगर, पहाड़ जैसे मजबूत माने जाने वाले लोगों में यह दर अच्छी नहीं है। हाइपरटेंशन से मेघालय में सबसे कम 24.3 फीसदी और पंजाब में 51.8 प्रतिशत लोग जूझ रहे हैं।

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प्रदेश में 38.7 फीसदी लोग मोटापे से परेशान

हिमाचल प्रदेश में 38.7 प्रतिशत लोग मोटापे (Generalized Obesity) के शिकार है, इसकी राष्ट्रीय औसत 28.6 प्रतिशत है। यानी नेशनल एवरेज की तुलना में हिमाचल में 10 फीसदी अधिक लोग मोटापे की गिरफ्त में आ गए है। झारखंड में सबसे कम 11.6 फीसदी तथा पुंडुचैरी में 53.3 प्रतिशत लोग इस बीमारी से परेशान है।

राज्य में 56.1% का पेट नॉर्मल नहीं

हिमाचल में 56.1 फीसदी लोग पेट के मोटापे (Abdominal Obesity) की समस्या जूझ रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय औसत 39.5 प्रतिशत की है। पेट के मोटापे से झारखंड में सबसे कम 18.4 प्रतिशत तथा पुंडुचैरी में 61.2 फीसदी लोग इसकी गिरफ्त में है।

बीमारियां इन कारणों से बढ़ रही

डॉक्टरों की माने तो हिमाचल में कुछ दशक पहले तक यह बीमारियां न के बराबर थी। अब स्कूली बच्चे भी टाइप 2 डायबिटीज के शिकार हो रहे है। तीनों बीमारियां तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि लोगों ने खेतों में काम करना छोड़ दिया है।

गांव-गांव में सड़कों की कनेक्टिविटी बढ़ने से लोगों ने पैदल चलना छोड़ सा दिया है। लोग व्यायाम तक नहीं करते। पहले जिस काम के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता था, अब वहीं काम मशीनों की मदद से चंद मिनटों में किया जा रहा है।

हानिकारक है जंक फूड सेहत के लिए

आधुनिक जीवन शैली में लोगों का रुझान पौष्टिक खाने के बजाय जंक फूड की ओर बढ़ा है। लोगों ने अपने भोजन में ताजा फल-सब्जियों का सेवन करना कम किया है। पैकेट बंद फूड से मोटापा सहित मधुमेह की समस्या पैदा हो रही है। ऐसे खाने में पौष्टिक तत्वों से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स और शुगर रहता है।

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चटपटा स्वाद देने के चलते फास्ट फूड बच्चों की पहली पसंद बना हुआ है। लंबे समय तक इन चीजों का सेवन और शारीरिक श्रम कम होने की वजह से बच्चों में रक्तचाप और मधुमेह की समस्या देखने को मिलती है।

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