Saturday, September 21, 2024
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पालमपुर अस्पताल में इलाज नहीं मिलने से 2 साल के बच्चे की मौत

कांगड़ा जिले के पालमपुर सिविल अस्पताल (Palampur Civil Hospital in Kangra) में दो साल और पांच महीने के बेटे यशमीत की इलाज के अभाव में मौत हो गई. परिजनों का दावा है कि पालमपुर अस्पताल (Palampur hospital) में रेबीज के टीके नहीं होने के कारण इलाज में देरी हुई।

आपको बता दे की उपमंडल पंचरुखी की बंडू पंचायत के चथम्मी गांव के नरेश के बच्चे को 21 अप्रैल को मुंह पर आवारा कुत्ते ने खेलते समय नाखून लगा दिए थे। स्वजन का कहना है कि वे बच्चे को सिविल अस्पताल पालमपुर ले आए, लेकिन यहां पर एंटी रेबीज का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था।

इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई

इसके बाद बच्चे को मेडिकल कॉलेज टांडा रेफर किया गया। टांडा मेडिकल कालेज से पीजीआइ रेफर किया गया। इसके बाद फिर टांडा अस्पताल में उपचार चला, लेकिन उपचार के दौरान रेबीज से बच्चे की मौत हो गई।

नरेश जालंधर में काम करते हैं और परिवार घर में रहता है। उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल को घर के बाहर आवारा कुत्ते ने उनके बच्चे के गाल पर नाखून लगा दिए थे।

पालमपुर अस्पताल ले गए, लेकिन यहां पर रेबीज का इंजेक्शन तक नहीं था और चिकित्सकों व स्टाफ ने गाइड भी नहीं किया कि रेबीज से बचाव के लिए क्या करें। दुख इस बात का है कि यहां रेबीज का विंग होने के बावजूद इंजेक्शन नहीं मिला। टांडा अस्पताल गए तो वहां पर जूनियर डॉक्टर (प्रशिक्षु) थे।

वे सीनियर को फोन करके उपचार देते रहे। बाद में बच्चे को पीजीआइ ले गए। पीजीआइ में जांच के बाद फिर टांडा अस्पताल आए। टांडा में चिकित्सकों ने प्रयास किया, लेकिन यशमीत नहीं बचा। स्वजन का आरोप है कि अगर सही तरह से पालमपुर अस्पताल के चिकित्सक जागरूक करते तो आज बच्चा साथ होता।

  • डॉ. मीनाक्षी गुप्ता, एमएस, सिविल अस्पताल पालमपुर।

प्राथमिक तौर पर रेबीज से मौत के कारणों को जानने के लिए प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। टीमें आज भी पंचरुखी ब्लाक गई थीं।

बच्चे के स्वजनों सहित आसपास के मोहल्ले में भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गई है। जहां जरूरी था वहां पर वैक्सीन दी गई है। बच्चा जब अस्पताल लाया गया था तो उसे एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई थी। इस बारे में एमएस पालमपुर को चिट्टी लिखी है।

डॉ. राजेश गुलेरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, कांगड़ा।

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